August 9

जीवन एक रंगमंच !

जीवन के  इस रंगमंच पर
सबको अपना अभिनय कर जाना है !

कोई बना  राजा यहाँ पर
तो कोई  बना भिखारी !

कोई बना चोर यहाँ पर
तो कोई बना सिपाही !

जिसको चुना प्रभु ने जिस अभिनय के काबिल
उसको उस अभिनय को, सर्वोत्तम  कर जाना है !

ना कोई संवाद है अपना, ना कोई है भाव
हमें तो बस रटे   रटाये संवाद -भाव को
जिवंत कर, अपना अभिनय कर जाना है !

अब बहुतो के जेहन  मे बात जरूर ये आएगी
जब सब कुछ है ये प्रभु कि माया !

तो क्यों खेले हम चोर सिपाही
छोड़ भिखारी का अभिनय राजा ही  बन जाते है !

अब बात चली है भगवन पे तो वो हॅसकर तुम्हे बताते हैं !

क्या कोई पिता चाहेगा एक पुत्र हो राजा उसका
दूजा बने चोर या कोई बने भिखारी?
पिता तो सभी आपने पुत्रो को संपन्न बनाना चाहेगा !

मनुष्य के नीयत और कर्म ही उससे सब करवाते है
जो मनुष्य करता है कर्म वैसा ही वो पता है !

यही बात तो हम सबको
धरती के इस रंगमंच पे दिखाते है !

जैसा कर्म करोगे वैसा
फल देगा भगवन !

तो कर्म को आपने बदलो
समुचित पात्र  और संवाद तुम्हे मिलजायेंगे !

चलकर  उन्ही  राह  पर,
तुमको आपने मंजिल मिलजायेंगे !!

जीवन के इस  रंगमंच पर सबको
अपना अभिनय कर जाना है !

— Written by Anil Sinha


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Posted August 9, 2020 by anilsinha in category "Poems

1 COMMENTS :

  1. By Subhasini Swaroopa on

    बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति। जीवन का अंतिम सत्य तो यही है कि यह दुनिया एक रंगमंच है और हम सब अपने अपने हिस्से का किरदार निभाने आए हैं।

    Reply

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