January 2

धुंध !

इस धुंधली धुंध के शाया में 
जीवन जंजाल के माया में
नहीं सूझता जीवन पथ हैं
कौन सा पथ गर्त को जाता हैं
कौन सा पथ मंजिल को जाता हैं!

इस धुंधली धुंध के शाया में
नहीं सूझता  जीवन पथ हैं 
एक  बटोही जीवन पथ का,
जीवन के चौराहे पे खड़ा
असमंजस में पड़ा हुआ हैं
कौन सा पथ मंजिल को जाता हैं!

ना हीं  अब जीवन के पल ज्यादा हैं
ना पैरों में बल ज्यादा हैं
जो  हर  राह पर चल कर परखे
कौन सा पथ मंजिल को जाता हैं!

ये आँखों कि कमजोरी हैं या
मौसम में हीं धुंध सा छाया हैं
ना हीं साथ पथिक ना हम शाया हैं
कौन बताये कौन सा पथ मंजिल को जाता हैं!

तीन पहर जीवन के बीत चुके हैं
अब एक पहर हीं बाकी हैं
अब तक शंशय बना हुआ हैं
कौन सा पथ मंजिल को जाता हैं!

हार ना मानी जिसने अब तक
धुंध उम्र थकान या आँखों कि कमजोरी
कैसे बन सकती थी उसके राह का रोड़ा
निश्चय कर जिस पथ  चला वो पथ मंजिल को जाता हैं!

दृढ निश्चय कर ज्यो हीं वो आगे बढ़ता हैं
रथ पे सवार कोई आता उसके जीवन के शंध्या काल में
बिठा उसे ले जाता हैं
उस पथ जो उसके मंजिल को जाता हैं!!

January 2

मंगल पावन वर्ष !

नये वर्ष की पावन बेला में
शुभ कामनाओं की झड़ी लगी हैं!

कितना मंगलमय ये पावन पल हैं
सुभकामनाओं से मोबाइल मेरी भरी पड़ी है!

दोस्त और दुश्मन का  कोई भेद नहीं हैं
मानो आपस का  कोई मतभेद नहीं हैं!

अच्छे भावनाओ के आदान -प्रदान का
एक सकारात्मक सोच का सुन्दर माहौल बना हैं!

वैसे सोचो तो बात कोई विशेष नहीं हैं
दो शब्द मंगल कामनाओं के  क्या
किसी का भाग्य बदल सकता हैं?

हाँ!एक नहीं लाखो लोग जब  वही बात कहेँगे
तो सच तो उसको होना हीं  हैं!

एक एक बून्द  स्नेह का मिलकर
एक स्नेह का सागर तो बनना हीं हैं!

बारम्बार मन्त्रोंचारण  जैसे
मंदिर का माहौल बदल देता हैं!

बारम्बार कहे मंगल शब्द सब मंगल कर देता हैं
बहुत जोर होता है शब्दों में जब लाखो कह देता हैं!
चाहे वो शब्द अमंगल या मंगल का होता हैं!

ये नया वर्ष भी एक ऐसा हीं दिन होता हैं
जाने अनजाने हीं मंगल  वर्षा होता हैं!

हम तो शोच रहें हैं कि काश
हर दिन या माह एक नया वर्ष होता तो
हमारे कहे शब्द लाखो का  भाग्य बदल देता !

औपचारिक हीं सही हम मंगल शब्द जब कह जाते हैं!
जाने अनजाने हम भाग्यविधाता बनजाते  हैं!

तो बारम्बार कहें सबको हैप्पी न्यू ईयर
ये शब्द हैं,जो हम सबका भाग्य बदल देता हैं !!!

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November 29

इलेक्शन !

अपने राज्य या देश का नेता चुनने को इलेक्शन होता हैं !
वो नेता लोगों का भीड़ जुटा उन्हें सब्जबाग दिखाता हैं !

सच जिसे मानकर भोली जनता उन्हें माला पहनाती हैं !
नेता बन वो नेता अभिनेता बनजाता हैं !
जो टीवी के परदे पर हीं अब सिर्फ नजर आता हैं !

बाटजोहती भोली जनता को
अगले इलेक्शन में हीं नजर आता हैं !
फिर से मुर्ख  बनाता हैं !

ऐसा एक नहीं सारे नेता हीं करते हैं !

असमंजस में होती हैं जनता जब जब इलेक्शन होता हैं !
दगाबाजो कि टोली में से किसी एक को चुनना होता हैं !

ये तो हुई पोलिटिकल इलेक्शन कि बाते जो पांच सालमे होता हैं !

एक इलेक्शन अपना नेता मन भोली आत्मा के समक्ष
रोज लड़ा करता हैं !
झूठे वायदे कर ये मन रोज भोली आत्मा को ठगता हैं !

ठगी हुई वो आत्मा फिर भी मंद मंद मुस्काती हैं !
मानो कहती हो ठगने वाला नहीं किसी को खुद को हीं  ठगता हैं!

समझो कोई आत्मा सिगरेट शराब छोड़ने को मनको
समझाती हैं !
नेता मन वादे करता हैं पर नहीं निभाता हैं !

वो किसको ठगता हैं?

कैंसर से पीड़ित हो मन अपने करनी पर पछताता हैं !
आत्मा तो निर्मल अमर हैं ये शरीर रेन बसेरा हैं!
शरीर का दुख तो मन हीं झेलता हैं वो हीं पछताता हैं !

ठगा हुआ सा मन रहजाता हैं !
बदल आत्मा अपनी पार्टी नया सरकार बनाती हैं !!!

— Written by Anil Sinha

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November 11

युग परिवर्तन !

जैसे रात दिन में, दिन माह में, माह वर्ष में
परिवर्तित होता हैं !
वैसे ही कई वर्ष -दसको बाद
ये युग परिवर्तित होता हैं !

सतयुग, द्वापर, त्रेता, कलयुग 
काल चक्र युग के हैं
इस युग परिवर्तन ने
सतयुग से कलयुग में हमको लाया हैं!

पर बहुत हो चुका
कलियुग का तांडव
अंत इसका भी  आया हैं
अब तो सतयुग आयेगा !

इस कलयुग ने अपने काल में कलुशित हर मनको करड़ाला हैं !
पर सतयुग का तो शर्त यही हैं
निर्मल मन ही सतयुग में जायेगा !

अब यातो  इस कलुशित मन को
निर्मल हमको करना होगा या
परित्याग शरीर का करना होगा !

इस सतरंगी दुनियाँ के मायाजाल से
कौन निकलना चाहेगा
परित्याग शारीर का कर
सतयुग में जाना चाहेगा !

अब काल चक्र तो घूम रहा हैं
सतयुग तो हरहाल में आयेगा
कोई साथ जाये न जाये
युग परिवर्तन तो आयेगा !

अब निर्मल मन  को छोड़
सबको प्रकृति ही मरवाएगा
कहीं कॅरोना कहीं प्राकृतिक आपदा से
लोगोँको मरवायेगा !

वक़्त अभी भी हैं
जो अपने कलुशित मन को निर्मल कर पायेगा
वही सशरीर इस सतयुग में जा पायेगा !

अब विकल्प दो ही हैं जन जन के पास
या तो खुद निर्मल बन जाओ
या मौत को गले लगाओ
युग परिवर्तन तो होनी हैं तुम जाओ न जाओ !!

— Written by Anil Sinha

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November 11

महान आत्मा हो आप !

कितने योनि से होकर इस मानव शरीर को
धारण कये हो आप महान आत्मा हो आप !

खुद को नहीं जानते पहचानते थे पहले आप
तभी तो जाने अनजाने गलत काम करते थे आप !

पर अब तो खुद को जान गये हो पहचान गये हो आप 
तो ये भी जानो किसी खास मकसद से
इस धरती पर जन्म लिये हो आप !

इस धरती पे आना बड़ा होकर बच्चे पैदा करना
उनका  परवरिश करना और बूढा होकर मर जाना
क्या सिर्फ इसलिए जन्मे हो आप?

नहीं ये परिवार सुख वैभव इसका, ईश्वर की  एक माया हैं !
इनके बीच  रहकर भी निर्लिप्त रह सकते हैं आप !
क्यों कि एक महान आत्मा हो आप !

सांसारिक जीवन में रहकर भी निर्लिप्त भाव से
जीवन सार्थक कर सकते हो आप !

इसके लिये खुद आपको अपना निरिक्षण करना होगा
अपने संसाधन से क्या कर सकते हो कार्य जगत के भलाई का ये निर्णय करलो आप !

अगर नहीं हैं कोई संसाधन तो सेवा भाव ही चुन लो आप !
आस पास पशु पक्षी या लाचार वृद्ध
इनमे कोई चुनलो आप !

इनका ही सेवा से महसूस करोगे महान आत्मा हो आप!
और नहीं तो खुद में ही परिवर्तन करलो आप !

पशु पक्षियों पे दयाभाव रख मांसाहारी से शाकाहारी बनजाओ आप !
जब आप बदलोगे बदलेगा परिवार और संसार आपका !

इस छोटे से बदलाव का कर्णधार हो आप !
एक महान आत्मा हो आप !

ये सच हैं !
खुद चिंतन कर बोलो !

मैं एक महान आत्मा हूँ !
मैं एक खास मकसद से इस दुनियाँ में आया हूँ !
मैं इस कलयुगी दुनियाँ को
सतयुगी दुनियाँ बनाने आया हूँ !

एक महान आत्मा हो आप…….. ॐ शांति  !!!

— Written by Anil Sinha

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November 11

जीना एक कला हैं !

करोडो लोग हैं इस दुनियाँ में
जो जैसे तैसे जी लेते हैं
जो भी हैं जैसा भी हैं
किस्मत के नाम पे समझौता कर लेते हैं !

नहीं जानते वो बेचारे
किस्मत के बीज (संस्कार) भले ही
ईश्वर के घर से लाई जाती हैं
पर इसे धरा पर कर्मठता से उगाई जाती हैं !

बचपन से ही जिन मस्तिष्क को वैसे ही
पौस्टिक भोजन और बातो से उर्वरक बनाई जाती हैं !

फिर उस मस्तिष्क में संस्कारो के बीज बोई जाती हैं!
वैसे ही बीज वृक्ष रूप में किस्मत  के धनी कहलाते हैं !
अब मस्तिष्क को उर्वरक बनाना ही जीने की कला हैं !

सुबह शकरात्मक सोच के साथ उठना फिर नित्यकर्म कर
योग वर्जिस और प्रभु पूजन से अपना दिनचर्या करते हैं!

शाम को हॅसते हुए ही घर को वापस आते हैं
और घर का माहौल खुशनुमा बनाते हैं तथा सोने से पहले प्रभुसे
अनजाने में हुए भूल का माफ़ी मांग अपना संकल्प  दोहराकर वो सो जाते हैं !

उठकर सुबह नित्य के भांति वही क्रम दोहराते हैं !
जीने की इसी कला के आधार पे सुख शांति से जीकर
अच्छे कर्मो के बल किस्मत का बीज (संस्कार)
अगले जन्म के लिये भी संचय कर जाते हैं !!!

— Written by Anil Sinha

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November 8

ज़मीर के चंद टुकड़े !

चंद चांदी के सिक्कों के खातिर हम
सोने सा ज़मीर का टुकड़ा गिरवी रख देते हैं !

नहीं सोचते पलभर को क्या खोना क्या पाना हैं !
जो ज़मीर को गिरवी रखता हैं कभी नहीं लौटाता हैं !
धीरे धीरे किस्तों में वो पुरे ज़मीर को खा जाता हैं !

अब नहीं ज़मीर हैं जिसका अपना वो कुछभी करजाता हैं
अस्मत से  खेलना माँ बहनो का
खून की होली दिनमे रात दिवाली कि बम बारूदों
से
उसका दिनचर्या बन जाता हैं !

मात पिता भाई बहन और हितैषी उसे बहुत समझाते हैं
पर उसका तो ज़मीर ही बिका हुआ था नहीं समझ वो
पाता हैं !

अपने ही देश के टुकड़े करने को दुश्मन से हाथ मिलाता हैं
और एक दिन देशद्रोही आतंकी बन अपना जान गंवाता हैं !

पर जाते जाते अंत समय में उसे समझ में आता हैं  कि
नाहक ही चंद सिक्कों के खातिर
अपने ज़मीर के टुकड़े को वो गिरवी रखदेता  हैं !

पर अब वक्त नहीं था पश्चाताप का पर एक संदेश
देश के युवाओ को वो दे जाता हैं !

चाहे कुछ भी होजाये
चंद चांदी के सिक्कों के खातिर
अपने सोने सा ज़मीर का टुकड़ा गिरवी क्यों रखना हैं !!!

— Written by Anil Sinha

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November 8

अंतिम सिपाही !

वो परमवीर अपने दस्ते का अंतिम सिपाही था
एक अकेला वो सिपाही सौ सौ को मार चुका था !

खुद वो इतना  घायल था कि लड़ना मुश्किल था
भारत माँ कि आन बचाने को रणभूमि में डटा हुआ था !

तन बेशक उसका घायल था आत्म बल से लड़रहा था !बैकअप दस्ता आने तक दुश्मन को आगे बढ़ने से रोक रहा था !

छुपकर उनके पैदल दस्ते को चुन चुन कर मार रहा था
उस दस्ते के सारे सिपाही को तो मार दिया उसने पर
सामने से एक टैंक गोले बरसाता आया !

उसके बन्दूक के गोली से अब टैंक को रोकना
मुश्किल था, पर रोकना उसे जरुरी था !

तब भारत माँ के जयकार के साथ
टैंक के नीचे जा लेटा था
टैंक को बम से उड़ाया था !

उस परमवीर सिपाही ने वो युद्ध हमें जितवाया था
ये देश उस वीर सेनानी शहीद अब्दुल हामिद के
बलिदान को हरदम याद रखेगा !

नहीं मरा वो सेनानी हर सेनानी के दिल में जज्बा बनकर
हर दम जिन्दा रहेगा !!!

— Written by Anil Sinha

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November 2

बचपन !

पचपन के बाद
बचपन की याद बहुत सताती हैं !

देख खेलते बच्चों को
अपना भी मन ललचाता हैं !

काश बचपना बूढ़ो में भी होता
किसी बाग बगीचे में हम बूढ़े भी खेल रहें होते !

बचपन में अगर नहीं होता था जेब में एक भी पैसा
सब कहते जिसके पास जितना हैं पैसा
चलो मिलाते हैं फिर  मिल बांटकर खाते हैं !

आज अगर नहीं हो पैसा जेब में तो
कोई नहीं मिलाता हैं अलग थलग वो हो जाता है 
नहीं काम कोई होता हैं फिर भी सौ बहाने बनाता हैं !

नहीं हो पैसा पास फिरभी बचपन दिल का धनी होता हैं !
पैसे करोडो हो पास फिर भी बुढ़ापा पैसे को रोता हैं !

काश बचपना बूढ़ो में भी होता
पैसे की बंदिश ना होती आपस में खुशियाँ बाट रहें होते !

इसी कस्मकस  में एक दिन ईश्वर से मैं बोला
हे प्रभु मेरा बचपन लौटा दो !

ईश्वर  ने मेरी बात रखी
मेरी नतनी
प्यारी लाडो के रूप में मेरा बचपन लौटाया !

खेल खेल के उसके संग अपना बचपना मैं वापस पाया
अब ना कोई चिंता भूत भविष्य की हैं
ना खाने ना पीने की !

माँ बाप सरीके बेटी बेटा जो हैं
इस बूढ़े बच्चे का लालन पालन करने को !

अब पचपन क्या पैसठ में भी
बुढ़ापे की याद नहीं आती हैं
मेरा बचपन मेरे पास जो होती हैं !!!

— Written by Anil Sinha

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November 2

गद्दार !

जिस माता ने पालपोश कर तुमको बड़ाकिया
सोचा था माता ने तुम  ऐसा कुछ काम करोगे
घर को इज्जत पानी के साथ दो जून का रोटी दोगे
पर तुमने तो दुश्मन से हाथ मिला सबको शर्मसार किया !

कल तक जो माता के आगे शीश झुकाते थे
आज आतंकी की माता कहकर सबने
उसे बदनाम किया !

क्या कसूर उस माता का हैं
जो कल तक परमवीर चक्र सेनानी की बेवा थी
आज देश द्रोही आतंकी की माता का नाम दिया !

वो बेटा जिसके अब्बू ने सोकर टैंक के निचे
दुश्मन का टैंक उड़ाया था आज उसी का बेटा
दुश्मन से हाथ मिलाया था !

बम बारूद बंदूक दुश्मन से लेकर घर में उसे छिपाया था !
एक दिन अचनाक वो सब माँ के नजर में आया था !
उसने ही जाकर थाने में पुलिस को सब बताया था !

पुलिस के आने से पहले वो बेटा घर से भाग चूका था
दुख तो हुआ बहुत ही माता को पर देशद्रोही बेटा के संग
देश भक्त माता का रहना भी मुश्किल था !

दो दिनों के बाद उसे पकड़ कर पुलिस माँ के पास लाई
और पूछा क्या ये आप का बेटा हैं !
माँ बोली एक परमवीर पिता और देश भक्त  माता का
बेटा एक गद्दार नहीं हो सकता हैं !

जिस दिन ये अपने गलती पर पछतायेगा और
देशभक्त बनपायेगा
उसी दिन ये मेरा बेटा कहलायेगा !!

— Written by Anil Sinha

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