जीवन शारथी !
हे कान्हा तुम मेरे जीवन शारथी बनजाओ
कैसे जीते जीवन का महाभारत, ये तुम मुझे बताओ !
मेरे मन की विशाल कौरव सेना खड़ी है मुझे हराने को
पर मेरे अपने पांच पांडव, काम क्रोध मोह लोभ अहंकार
पर नहीं है मेरा ही अधिकार,
कैसे हो अधिकार अपनों पर, ये तुम मुझे बताओ !
अपने ही जो ना हो अपने वश मे
तो कैसे लड़ने को दुश्मन से
अपना धनुष उठाऊँ, ये तुम मुझे बताओ !
असमंजस मे है मेरा अर्जुन
प्रभु तुम अपना विश्वरूप दिखाओ
खड़े खड़े जीवन के रणभूमि मे जीवन का सार बताओ !
नहीं आहत हो कोई अपना शब्द वाणो से मेरे
फिरभी नागफांस मे बँधजाये वो मेरे
कैसे भेदे जीवन के चक्रब्यूह को ये राज मुझे बताओ !
हे कान्हा तुम मेरे जीवन शारथी बन जाओ
कैसे जीते जीवन का महाभारत, ये तुम मुझे बताओ !
— Written by Anil Sinha