चन्दन का पलना !
चन्दन का पलना रेशम लागे डोरी!
पलना डुलाये मैया और गाये लोरी!
मैया की गोदी हर बच्चे को पलना लगता हैं!
प्यार भरी बाते माता की बच्चे को लोरी लगता हैं!
ममता के छाव में पलकर बच्चा बड़ा होता हैं!
माँ स्नेह का डोर थमा उसके जीवन साथी को देती हैं!
चाहे बूढा हो जाये कोई,मैया को वो बच्चा हीं लगता हैं!
पर आस्वस्त जब बच्चे के ओर से हो लेती हैं!
अलविदा दुनियाँ को वो कह देती हैं!
बहु बेटा बेटी दामाद नाती पोता से भरा पूरा परिवार हैं!
पर माँ बिन इस बूढ़े बच्चे का संसार हीं सूना हैं!
जो बच्चा माँ के आगे खाने में सौ सौ नखरे करता था!
आज वो नखरे भूल गया हैं सब कुछ खा लेता हैं!
मालूम उसे हैं की नखरे करने का मतलब भूखे सोना हैं!
माँ थोड़े हीं हैं जो सारे नखरे उठाएगी और उसे खिलाएगी!
माँ की याद उसे हर छोटे मोटे बातो पे आती हैं!
पर होली और दिवाली पर उसकी याद बहुत सताती हैं!
माँ जहाँ चुन कर सबसे महंगे कपडे लाती थी त्योहारों पे!
वही आज चुन कर सबसे सस्ते कपडे बूढ़े बच्चे को
ये कहकर पहनाई जाती हैं कि ये हीं इनको अच्छे लगते हैं!
वो भी हाँ में हाँ मिला सहर्ष स्वीकार करता हैं!
टुक टुक पत्नी देख रही होती अब उसकी भी क्या चलती हैं!
अपने बच्चों को ख़ुश करने को उनको हामी भरनी हीं थी!
सच पूछो तो कई बाते उनको भी बहुत हीं खलती हैं!
आज वो सोची, माँ के जैसे मिट्टी का घरौंदा बना
परंपरा निभाते हैं!
ले नाती पोतो को संग जैसे हीं मिट्टी सानी थी
बेटी बहु खींच ले गये अपने बच्चों को मिट्टी से इन्फेक्शन के डर से!
दूर खड़ा वो देख रहा था सोच रहा था जब
अपने नन्हें हाथो से मिट्टी का घरौंदा माँ के संग उसने
बनाई थी!
नहीं हुआ था कोई इन्फेक्शन, माँ कि सोच जो अच्छी थी!
आज बच्चों को
ना हीं माँ के गोद नसीब हैं ना हीं चन्दन का पलना!
इन बच्चों को तो आया के हाथो हैं पलना!
हाई सोसाइटी के इन माताओ के लिये
ओल्ड फैशन हैं खुद अपने बच्चों को पालना!
अब क्या होगा चन्दन का पलना और रेशम कि डोरी
कौन डुलायेगी पलना कौन गायेगी लोरी !!!
— Written by Anil Sinha