कुल दीपक !
इतिहाँस में हमने पढ़ा था कई कुल दीपक के बारे में
छत्रपति शिवजी वीर कुवंर राणाप्रताप जैसे कई कुल दीपक के बारेमे
सबने ढेरो काम किये अपने कुल का नाम किये !
वर्तमान में हमने पढ़ा हैं एक ऐसे कुल दीपक के बारे में
पालन पोषण सब राजघराने जैसा
सबने हाथो हाथ लिये कुछ ज्यादा ही सम्मान दिये !
पर उसने ना सीखा करना सम्मान किसी का
चाहे कोई हम उम्र हो चाहे हो रिस्तेदार
भले ही हो कोई प्रधान मंत्री
उनके आदेशों को भी उसने दिये थे फाड़ !
जो भी हैं जैसा भी हैं हैं तो अपना कुल दीपक
यही सोच कर माँ ने उसको अपना पार्टी प्रमुख बनाया
पर वो घमंडी चूर नशे में अपना ऐसा रौब दिखाया
छोड़ दिए उसके कई पार्टी प्रभारी कई बड़े अधिकारी !
जब चुनाव का मौसम आया वो चलागया विदेश
जूझ रही थी उसकी पार्टी अपना अस्तित्वा बचाने को
पार्टी प्रमुख विदेश भ्रमण पर माँ पड़ी थी बिस्तर पर
ऐसे में लाचार माँ ने अपने बेटी को अस्थाई भार थमाया
हुई करारी हार जो पार्टी कि
लौट आया विदेश के दौरे से
माँ बहन पर अपना गुस्सा दिखलाया
पार्टी प्रमुख के पद से इस्तीफा देकर अपना रोष जताया !
माँ परेशान हैं कैसे भी बेटे का भविष्य बनाये
पर बेटा मस्त मालिन्द हैं चिंता नहीं हैं कोई
ज्यों ज्यों पार्टी टूट रही हैं
माँ भी अंदर से टूट रही हैं !
जिस कुल दीपक के लिये वो ये आशियाना बनारही हैं
अब कुल दीपक ही उस आशियाने में आग लगा रहा हैं
हाथ जला कर बूढी ममता आग बुझा रही हैं
बेटे के लिये वो आशियाना बचा रही हैं !!
— Written by Anil Sinha