क्या हैं मेरे दिल की बातें ?
मैं एक इंजिनियर ऊँचे पदपर कार्यरत था
पर मेरे अंदर एक लेखक भी जिन्दा था !
लगता था कलकारख़ाने के कलपुर्जे से लेकर
पेड पौधे तथा जानवर जो भी आसपास था मेरे
अपने अपने तरीके से कुछ कहना चाह रहा था !
बहुत ब्यस्त रहता था अपने कामों में
फिर भी उनके बातोंको सुन किसी कागज के टुकड़े पर
या डायरी के पन्ने पे लिख लेता था !
फिर एक दिन ऐसा आया जब मैं
कैंसर से पीड़ित होकर मृत्यु शैया पे झूल रहा था
मुझे लगा वो पेड़ पौधे और जानवरो की ब्यथा
जो उन्होंने मुझे सुनाई थी मेरे साथ ही चली जायेगी !
कितना भरोसा था उनको उनकी ब्यथा को
मैं दुनियाँ को बतलाऊगा !
बेटी जब आई हॉस्पिटल उसे अपने दिलका बात बताया था !
झटपट उसे डायरी के पन्नों से या कागज़ के टुकड़ो से जो भी मिलपाया !
उसको लेकर Emotions नाम से एक पुस्तक छपवाई !
उसी समय ओपरेशन से पहले मैं ईश्वर से बोला
हे प्रभु अभी मेरा काम अधूरा हैं !
सारे मूक जीवो की ब्यथा उनसे सुननी और सुनानी हैं !
घर परिवार तथा विश्व का वैमनष्य मुझे मिटानी हैं
अच्छे कविताओं के बलपर अपने देश को बहुत
सालो के बाद पुनः नोबेल पुरस्कार दिलानी हैं !
अतः हे प्रभु आप जीवन दान मुझे दे दो !
होगा आश्चर्य आपको मुझे ऐसे जटिल अवस्था में भी
जीवन दान मिला हैं !
अब मैं अपने काम से सेवानिवृत होकर
समाज और दुनियां की सेवा में समर्पित हूँ !
मेरे पाठक से बस एक निवेदन हैं
मेरे कविताओं को जन जन तक पहुंचाए
और इस पुण्य कार्य में मेरा हाथ बटाये !!!
— Written by Anil Sinha