February 28

तुम बिन !

रात बीत जाती हैं करवटे बदल बदल के
नींद नहीं आती हैं मुझे अब तुम बिन!

रात भर डस्ती हैं तन्हाई मुझे
आगोश में सिमटे तेरे गेसुवो कि याद आती हैं मुझे!

मै जो शौतन के नामपे चिढ़ाता था तुझे
दिखा के खाली बिस्तर आज वहीँ चिढ़ाती हैं मुझे!

पास होकर तन्हाई का कोई एहसास हीं ना था
मृग सा कस्तूरी मै बाहर ढूंढ़ रहा था!

नहीं पाता था जिंदगी
इतनी वीरान होजायेगी तुम बिन!

अब तो लगता हैं
एक कदम नहीं चल पाउँगा तुम बिन!

कुछ दिनों की ये जुदाई काफ़ी हैं
एहसास दिलाने के लिये कि नहीं जी पाऊंगा तुम बिन!

दुनियाँ का सारा फ़साना रंगिनियाँ
नहीं कामके मेरे अब तुम बिन!
उम्र के इस दहलीज पर शर्म आती हैं मुझेये बताने  के लिये कि नींद नहीं आती हैं मुझे तुम बिन!

रात बीत जाती हैं करवट बदल बदल के
नींद नहीं आती हैं मुझे अब तुम बिन!!

— Written by Anil Sinha



Copyright 2024. All rights reserved.

Posted February 28, 2021 by anilsinha in category "Poems

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *