लक्ष्य हमारा लक्ष्य तुम्हारा
कुछ लक्ष्य हमारा हैं
कुछ लक्ष्य तुम्हारा हैं!
ये वाज़िब हैं
हर इंसा का अपना लक्ष्य अलग हीं होता हैं!
पर ऐसा भी कुछ लक्ष्य हैं
जो सामूहिक होता हैं!
लड़ी लड़ाई हमने पूरे सिद्दत से
लक्ष्य बहुत सा हासिल की हैं!
बस एक बचा था लक्ष्य हमारा पैसो के आजादी का
पर लड़ते लड़ते बीच लड़ाई धनुष मेरा टूट गया!
मै असहाय हुआ हीं था कि मेरा अर्जुन पास खड़ा था
अब वो बारी बारी हम दोनों के लक्ष्य को साध रहा था!
मै कृष्णा बना रथ हाँक रहा
लक्ष्य भेद रहा मेरा अर्जुन हैं!
अर्थ अभाव का वो दानव मायावी सा लगता हैं
तभी तो अर्जुन के वाणो से मरकर भी वो जिन्दा होता हैं!
रथ रोक सारथी तब अर्जुन से कहता हैं
छे तीर तुम्हारे तरकश से चुन कर देता हूँ!
उन तीरो से निरंतर उस दानव पे करो प्रहार
कटकर अंग उस दानव के छओ दिशाओ में जायेगे
फिर लौट कर वो आपस में जुट ना पायेंगे!
मरजायेगा जब अभाव का दानव
पैसो के आजादी का लक्ष्य तुम्हारा सध जायेगा
ये सामूहिक लक्ष्य हमारा सध जायेगा!!
— Written by Anil Sinha