दाग़ !
खुद के दाग़ छुपाने को लोग गैरों पे दाग लगाते हैं
पाक साफ हैं दामन बतलाने को रोज इत्र लगाते हैं
छुपा सकें जो काले मन को सादे वस्त्र पहनते हैं !
भीड़ जुटा कर भोले लोगों का उन्हें गलत पाठ पढ़ाते हैं
फिर परदे के पीछे से वो जगह जगह दंगे करवाते हैं
और टीवी के परदे पे आकर सरकार पे तोहमत लगाते हैं!
जान के इनके मंसूबो को दुश्मन देश इनसे हाथ मिलाते हैं
वो इनको पैसे और सत्ता का लालच देकर इनसे देशद्रोह कराते हैं !
मानव रूम में ये भूखे भेड़िये अपने ही लोगों को खाते हैं
फिर घड़ियाली आँसू रोकर मृतकों के घर संतावना देने जाते हैं !
पर ऐसा नहीं कि ये पीड़ित इनको नहीं समझते हैं
बस पानी में जो रहना हैं तो इन घड़ियालो से डरते हैं !
पर कब तक रहेंगे यूँ डर डर के अब विचार ये करते हैं
कैसे करें इनसे मुकाबला ये गिरगिट जो हरदम रंग बदलते हैं !
सबसे पहले हम सबको इनका चाल समझना हैं
बाँट सके ना कोई हमको जाती धर्म के आधार पे ये बात हमें समझना हैं !
यही हम सबकी हैं कमजोरी जो बाट हमें इसी आधार पे राज हमपे ये करते हैं !
समझ गये जो हम इनको तो अब एकजुट हो जाना हैं!
हमको अपने मताधिकार के प्रयोग का जब भी मौका मिलता हैं
इन भेड़ियों के चिकनी चुपड़ी बातो से दूर हमें तो रहना हैं !
बहुत सोझ समझ कर एक मजबूत सरकार बनाने को सही जगह बटन दबाना हैं !
कल उनकी बारी थी आज आपकी बारी हैं
सही जगह बटन दबाकर उन हीरो को जीरो पे लाना हैं !
नोच के उनके मुखौटे उनका सही रूप दिखाना हैं
ऐसे दागी सफेदपोश लोगों का मुँह काला करवाना हैं
भिजवा कर इनको जेलों में इनका सही जगह दिखाना हैं !
अगर नहीं दिखा पायें हम अपनी एकजुटता तो हम पर ये फिर हाबी हो जायेंगे l
अगर गलती से भी ये सत्ता में आये तो नोच देश को खाएंगे गुंडा राज चलाएंगे !
एक हमारे छोटे से भूल का हर्जाना पूरा देश चुकाएगा !
नहीं करेंगे हम ऐसी कोई गलती जो भारतमाता के दामन पे दाग लगाएगा ! !
— Written by Anil Sinha