राजे दिल !
बहुत कुछ कहना चाहता है ये दिल
पर जुबां तक बात पहुंची ही ना थी
खुद ही खामोश हो जाता है दिल !
बिन जल मछली जैसे तड़पे ये दिल
हर बार कुछ कहना चाहता है ये दिल
थरथराते लबोतक बात नहीं पहुंचा पाता है दिल !
किसी ने जो हौले से पूछा क्या बात है दिल
घबराकर हर ओर निहारता है दिल
ना जाने किस बात से डरता है दिल !
दिल को पता है जो बात कह जाएगा ये दिल
तो कइयों पर सितम ढायेगा ये दिल
शीशे कि तरह टूट कर बिखर जायेगा कई दिल !
फिर भी अब नहीं खामोश रह पायेगा ये दिल
बंद जुबां से सारी बात बताएगा ये दिल
अपने जिंदगी के राज से पर्दा उठायेगा ये दिल !
पर ना जाने क्या सोचकर खामोश रहजाता है दिल
शायद अपनों का दिल टूटना नहीं सह पायेगा ये दिल
राजेजिन्दगी को साथ गहरी नींद सो जायेगा ये दिल !
बहुत कुछ कहना चाहता था ये दिल
पर जुबां तक बात नहीं पहुँचा पायेगा ये दिल
अपने ख़ामोशी के आलम में ही दफ़न होजायेगा ये दिल !
— Written by Anil Sinha
बहुत भावपूर्ण