March 27

सतरंगी होली !

होली के दिन हम निकल पड़े
ले रंग ग़ुलाल और पिचकारी
पर सूने थे राह सभी
हर चौंक मिले पुलिस अधिकारी!

माइक पे वे बोल रहें थे
कोरोना से बचाव के लिये
मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग जरुरी हैं!

अब कैसे खेले  हम सतरंगी होली
कैसे लगाएं अपने संगी साथी के गालो ये रंग ग़ुलाल
सोचा बेशक़ नहीं निकले हैं लोग बाहर पुलिसवालों के
डर से
पर चाहत तो सबकी होंगी वो भी खेले सतरंगी होली!

यही सोच मै चल पड़ा अपने परम मित्र शर्माजी के घर
जाकर बेल दबाया और दो तीन बार दबाया तो
अंदर से आवाज आई, कौन हैं?

मै चहक कर बोला भाभी जी मै हूँ!
दरवाजा हल्का सा खोल भाभीजी अंदर से बोली
वो तो घर पर नहीं हैं!

मै चकराया वो निखट्टू घरमे पडेरहने वाला
आज बाहर कैसे जासकता हैं,फिर भी हसकर मै बोला
भाभीजी आज होली हैं
चलिए आपको हीं ग़ुलाल लगाता हूँ!
तुरंत पीछे से आवाज़ आई,बोलो दूर रहें कोरोना हैं!
पीछे हटकर मै बोला
ठीक बोले दोस्त भूल गयाथा मै,
बीच हमारे कोरोना आगयी हैं इसलिए आपस की दूरी जरूरी हैं!

फिर सोचा क्या कोरोना के डर से
द्वार पे खड़े मेहमान का यूँ तिरस्कार जरुरी हैं!

लौट कर घर वापस जो आया तो पत्नी बोली
क्या क्या पकवान खाकर आये हो दोस्त के घर से
एक लम्बा ढकार ले मै बोला
मत पूछो क्या  नहीं खाया हैं!

फिर अपने आप से बोला
गम खाया हैं और तिरस्कार की सतरंगी होली खेली हैं
सच में सोशल डिस्टेंसिंग बहुत जरुरी हैं होली हैं भाई होली हैं!



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Posted March 27, 2021 by anilsinha in category "Poems

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