November 11

युग परिवर्तन !

जैसे रात दिन में, दिन माह में, माह वर्ष में
परिवर्तित होता हैं !
वैसे ही कई वर्ष -दसको बाद
ये युग परिवर्तित होता हैं !

सतयुग, द्वापर, त्रेता, कलयुग 
काल चक्र युग के हैं
इस युग परिवर्तन ने
सतयुग से कलयुग में हमको लाया हैं!

पर बहुत हो चुका
कलियुग का तांडव
अंत इसका भी  आया हैं
अब तो सतयुग आयेगा !

इस कलयुग ने अपने काल में कलुशित हर मनको करड़ाला हैं !
पर सतयुग का तो शर्त यही हैं
निर्मल मन ही सतयुग में जायेगा !

अब यातो  इस कलुशित मन को
निर्मल हमको करना होगा या
परित्याग शरीर का करना होगा !

इस सतरंगी दुनियाँ के मायाजाल से
कौन निकलना चाहेगा
परित्याग शारीर का कर
सतयुग में जाना चाहेगा !

अब काल चक्र तो घूम रहा हैं
सतयुग तो हरहाल में आयेगा
कोई साथ जाये न जाये
युग परिवर्तन तो आयेगा !

अब निर्मल मन  को छोड़
सबको प्रकृति ही मरवाएगा
कहीं कॅरोना कहीं प्राकृतिक आपदा से
लोगोँको मरवायेगा !

वक़्त अभी भी हैं
जो अपने कलुशित मन को निर्मल कर पायेगा
वही सशरीर इस सतयुग में जा पायेगा !

अब विकल्प दो ही हैं जन जन के पास
या तो खुद निर्मल बन जाओ
या मौत को गले लगाओ
युग परिवर्तन तो होनी हैं तुम जाओ न जाओ !!

— Written by Anil Sinha


Tags:
Copyright 2020. All rights reserved.

Posted November 11, 2020 by anilsinha in category "Poems

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *