November 2

बचपन !

पचपन के बाद
बचपन की याद बहुत सताती हैं !

देख खेलते बच्चों को
अपना भी मन ललचाता हैं !

काश बचपना बूढ़ो में भी होता
किसी बाग बगीचे में हम बूढ़े भी खेल रहें होते !

बचपन में अगर नहीं होता था जेब में एक भी पैसा
सब कहते जिसके पास जितना हैं पैसा
चलो मिलाते हैं फिर  मिल बांटकर खाते हैं !

आज अगर नहीं हो पैसा जेब में तो
कोई नहीं मिलाता हैं अलग थलग वो हो जाता है 
नहीं काम कोई होता हैं फिर भी सौ बहाने बनाता हैं !

नहीं हो पैसा पास फिरभी बचपन दिल का धनी होता हैं !
पैसे करोडो हो पास फिर भी बुढ़ापा पैसे को रोता हैं !

काश बचपना बूढ़ो में भी होता
पैसे की बंदिश ना होती आपस में खुशियाँ बाट रहें होते !

इसी कस्मकस  में एक दिन ईश्वर से मैं बोला
हे प्रभु मेरा बचपन लौटा दो !

ईश्वर  ने मेरी बात रखी
मेरी नतनी
प्यारी लाडो के रूप में मेरा बचपन लौटाया !

खेल खेल के उसके संग अपना बचपना मैं वापस पाया
अब ना कोई चिंता भूत भविष्य की हैं
ना खाने ना पीने की !

माँ बाप सरीके बेटी बेटा जो हैं
इस बूढ़े बच्चे का लालन पालन करने को !

अब पचपन क्या पैसठ में भी
बुढ़ापे की याद नहीं आती हैं
मेरा बचपन मेरे पास जो होती हैं !!!

— Written by Anil Sinha


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Posted November 2, 2020 by anilsinha in category "Poems

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