बचपन !
पचपन के बाद
बचपन की याद बहुत सताती हैं !
देख खेलते बच्चों को
अपना भी मन ललचाता हैं !
काश बचपना बूढ़ो में भी होता
किसी बाग बगीचे में हम बूढ़े भी खेल रहें होते !
बचपन में अगर नहीं होता था जेब में एक भी पैसा
सब कहते जिसके पास जितना हैं पैसा
चलो मिलाते हैं फिर मिल बांटकर खाते हैं !
आज अगर नहीं हो पैसा जेब में तो
कोई नहीं मिलाता हैं अलग थलग वो हो जाता है
नहीं काम कोई होता हैं फिर भी सौ बहाने बनाता हैं !
नहीं हो पैसा पास फिरभी बचपन दिल का धनी होता हैं !
पैसे करोडो हो पास फिर भी बुढ़ापा पैसे को रोता हैं !
काश बचपना बूढ़ो में भी होता
पैसे की बंदिश ना होती आपस में खुशियाँ बाट रहें होते !
इसी कस्मकस में एक दिन ईश्वर से मैं बोला
हे प्रभु मेरा बचपन लौटा दो !
ईश्वर ने मेरी बात रखी
मेरी नतनी
प्यारी लाडो के रूप में मेरा बचपन लौटाया !
खेल खेल के उसके संग अपना बचपना मैं वापस पाया
अब ना कोई चिंता भूत भविष्य की हैं
ना खाने ना पीने की !
माँ बाप सरीके बेटी बेटा जो हैं
इस बूढ़े बच्चे का लालन पालन करने को !
अब पचपन क्या पैसठ में भी
बुढ़ापे की याद नहीं आती हैं
मेरा बचपन मेरे पास जो होती हैं !!!
— Written by Anil Sinha