October 10

एक कल्पना की हकीकत !

कल्पना नहीं ये हकीकत हैं
ये दुनिया बहुत ही खूबसूरत हैं !

ये नदी नाले पहाड़  व पर्बत
घनेरे जंगल की छाया में मधुर चिडियो का कलरव हैं !

तरह तरह के वन के प्राणी
ये वन के प्राणी इस वन की शोभा हैं !

यहाँ ऊँची ऊँची इमारते
सुन्दर सुन्दर भवन और धरोहर दुनिया के हैं !

विभिन्य कार्य में जुटे ये हलचल मानवजाति  का हैं !
बच्चे जवान और बूढ़े सभी अपने कामों में मगन हैं

कितना सुखी सम्पन्न खुशहाल ये दुनियाँ हैं !
अब आपस की बैर हमारी,  घोर संकट को लाया हैं !

ऐसा तनाव का माहौल बनरहा विश्वयुद मंडराया हैं !
जब नहीं झुकने को तैयार हैं कोई तो युद्ध तो होनी हैं !

विनाश काल में विपरीत बुद्धि तो होनी ही हैं  !
एक ने बम फेंका तो जवाब में दूजे ने भी फेंका हैं !

एक का दुश्मन दूजे का दोस्त बनकर उसने भी बम फेंका
और देखते देखते छिड़ी विश्व युद्ध की लड़ाई हैं !

सबने अणु बमो का खोल जखीरा एक दूजे पे बरसाई हैं
चारो तरफ हाहाकार मची हैं लाशो की अम्बार लगी हैं !

महल अट्टालिकाएं टूट कर खंडहर बनी ये दुनियाँ हैं
क्या जंगल क्या गांव शहर सभी जगह सिर्फ आग का गोला हैं !

आन बान के टक्कर में आज पूरी दुनियाँ कब्रिस्तान
बनी हैं !
ना कोई इंसान बचा ना कोई जानवर और पंछी हैं !

निस्तब्ध हुई ये दुनियाँ
सारी दुनियाँ वीरान पड़ी हैं !

ये उस हकीकत की कल्पना हैं जो होने वाला हैं
बचा सको तो बचा लो इस दुनियाँ को ये अरज दुनियावालो वालो से हैं !!!

— Written by Anil Sinha



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Posted October 10, 2020 by anilsinha in category "Poems

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