एक नन्हा सवेरा !
चिड़ियों कि चहचहाने के साथ
मुर्गे कि बांग लगाने के साथ
कोयल के मधुर गान के साथ
जन्म होता है एक नन्हें सवेरा का !
मंदिर के घंटीओ के साथ
मस्जिद के अजान के साथ
गुरूद्वारे के गुरदास के साथ
जन्म होता है एक नन्हें सवेरा का !
सागर के एक छोर से
पहाड़ो के ओट से
घने जंगलों के झुर्मुट से
लाल वस्त्र मे , जन्म होता है एक नन्हें सवेरा का !
अब लोगों के दिनचर्या के साथ
पेट कि अगन मिटाने के साथ
अपने अपने कामों में लगने के साथ
उम्र बढ़ता है एक नन्हें सवेरा का !
बचपन के अठखेलियों के साथ
कई नादानियों के साथ
जवानी के रंगीनियों के साथ
वयस्क रूप होता है उस नन्हें सवेरा का !
अपनी जिम्मेदारियों के साथ
जीवन के परेशानियों के साथ
माथे के सिलवटों के साथ
कुछ अधेड सा लगता है चेहरा उस नन्हें सवेरा का !
अपने अंतिम कुछ जिम्मेदारियों के साथ
कुछ खोने कुछ पाने के एहसास के साथ
जीवन के कस्ती को किनारे लगाने के प्रयास के साथ
अब झुर्रियों के साथ बुढ़ापा झलकता है नन्हें सवेरा का !
अब लौटते चिड़ियों के कलरव के साथ
मंदिर के शंख नाद और संध्या आरती के साथ
मस्जिद के आखरी अजान के साथ
गिरजा और गुरूद्वारे के अंतिम पाठ के साथ
आ गया है वक्त अंतिम विदाई का उस नन्हें सवेरा का !
काले चादर में लिपटने के साथ
चिड़ियों के कलरव बंद होने के साथ
कुत्तों के क्रंदन के आवाज के साथ
दूर जलते चिता के लऔ के साथ
कह गया लौट के आऊंगा करो इन्तेजार नन्हे सवेरा का !
— Written by Anil Sinha