माँ भारती !
आजादी के चौहत्तरवे पावन पर्व पे नमन करने को
माँभारती के श्री चरणों मे जो मैंने शीश झुकाया
टपक दो बून्द आँसू के, मेरे अंजुल मे आया !
मै घबराया सास्टांग दंडवत कर माता को
पूछा माता, क्या भूल हुई है मुझसे
द्रवित भाव माँ ने मुझे उठाया अपने गले लगाया !
नहीं शिकायत है तुमसे कोई
तुमने तो अपना कर्तब्य निभाया
यौवन काल मे देश के खातिर खून जला लोहा पिघलाया!
अब जीवन के संध्या काल मे
मैंने नो तुझे कलम थमाया, निष्ठा पूर्वक
तुमने देश प्रेम और नैतिकता का अलख जगाया !
भर आँखों मे आँसू मै पूछा फिर क्यों माँ तेरे आँखों मे आँसू भर आई
नम आँखों से माँ बोली,पहले बागडोर जीनको सौंपी थी
उन लोगों ने ठीक से अपना कर्त्तव्य नहीं निभाया !
मेरी तो जंजीरे काट दिये, आजादी के दीवाने
पर मेरे करोड़ो बच्चे अबभी जकड़े है
गरीबी भुखमरी बेरोजगारी के जंजीरो सें
सुध ना ली इन बच्चों की, पर आजादी का जश्न मनाया !
हाथ जोड़ मै बोला माँ से, पर अबतो बात जुदा है जबसे दी है बागडोर आपने रामलाल और नरेंद्रजी के हाथो मे
जो ना हुआ था सत्तर सालो मे
इन्होने वो सब कर दिखलाया !
दो आशीष माँ तुम इनको इतना
कट जायेगी सारी जंजीरे
बनी रहें इनकी जो शाया !
तेरे ताज के जो हिस्से
दुश्मन के हाथो गवाया था
देखेंगे हम इनके पराक्रम से वो भी वापस पाया !
.मेरी बाते सुनकर माँ के चेहरे पर
भाव खुशी का आया, हँसकर माँ बोली
यही सोचकर हमने उनको बागडोर थमाया !!
आजादी के चौहत्तरवे पावन पर्व पे नमन करने को
माँ भारती के श्री चरणों में मैंने शीश झुकाया !!
– Written by Anil Sinha